46 “जोबै तुऐं मैरौ बौलेयौंदो ना मानौ तौ काए मुखै, ‘ओए रै प्रभु, ओए रै प्रभु,’ बौल़ौ?
46 “जबे तुँऐं मेरा कऐणाँ ने माँन्दे। तअ मुँखे ‘हे प्रभू, हे प्रभू’ किन्दें खे बुलो?
तिथकै बाद सैजी ओकी कुवांरियां बै पाछु आयौ रुंदै बैई दुल्है खै बुलदी लागी, ‘ओए रै मालिक, ओए रै मालिक आमु कारिए दवार खोले दै।’
तोबै जैसीखै ऐक झोल़ा भैटी रौआ थिया, तैणै आयौ बुलू, ‘ओए रै मालिक, हांव ताखै जाणुए कै तू कठोर आदमी औसौ, तू ओकी लोगौ कै काम शै फायदा कमाणौ कै उमीद कौरे औरौ जिथै बिज़ ना बोए तिथै दो कौठौ कौरे।’
तोबै सैजै लोग जोवाब दैंदै, ‘ओए रै प्रभु आमुए ताखै कोलो भूखा, या तीशा, या प्रदेशी, या नांगा, या बीमार, या ज़ेलो दा दैखा, औरौ तैरै सेवा ना कौरी।’
आपी खै धौखा नै दैव, जिथुकै कुणिए बै कौलोंई बै पौरमेशवर खै मूर्ख ना बाणै सौकौ, जिथुकै आदमी जू बौए दैंव, सैजौ ही काटदा।
सिरफ तैसकै वचन कै शोणेयो आपी खै धौखा ना दैव; तुऔं सैजौई कौरणौ चैंई जू सै बौल़ौए।