32 आखरी दी सैजी बैटमाणिश बै मौरे गौए।
32 अरह् तबे तिनू सात्ती भाई के मंर्णो गाशी सैजी तिरंऐ भे पाछे ही पाछे मंरी गऐ।
ऐशैखैई सात कै सात भाए बेओलाद मौरे गौए।
ऐबै, आमुखै बोता जै मौरेयौंदे का जियुंदी हौणौ पांदी सैजी विधवा बैटमाणिश, जू साती भाईड़ीआरी बियाए रौए थै, सै तिनुमुंजी दै कोसके घोरवाल़ी हौलै?”
हरेक आदमी कै ऐक बैई मौरणौ तय औसौ। मौत कै बाद, पौरमेशवर हरेक आदमी का न्याय कौरदा।