16 पौरौ ऐबै तुऐं आपणी योजनाओ कै बारै मुंजी घमण्ड कौरौ ऐशणा घमण्ड बुरा हौंव।
16 परह् तुँऐं आप्णी हंकार दा घुमंन्ड करह्, परह् हंकार अरह् घमंन्ड पाप शा भरा अंदा हों।
तोंवारा घमण्डी हौणा आछा ना आथी; का तुऐं ना जाणौ, कै दैणिक खमीर पूरै बाटैयौंदो आटै मुंजी फोयलै जांव, तैशैखैई, जै ऐकी आदमी कै पाप कौरदै रौणौ कारिए छोड़े दीं, तौ तावल़ो ही सौबी लोगौ मुंजी सैजौ पाप फोयलैयौ सौब लोग सैजौई पाप कौरदै लागदै।
पौरौ जै तुऐं आपणै-आपणै मन दै बैजाए ज़लन औरौ स्वार्थ राखौ, तुऐं ऐजा घमण्ड नी कौरणा चैंई कै तुऐं ऐक बुध्दिमान आदमै औसौ। जै तुऐं ऐशै कौरौ तौ तुऐं सौचाई खै झूठ दो बौदलै दैंव।
जिथुकै जू किछै दुनिया मुंजी औसौ, यानी शोरीर कै पापी अभिलाषा औरौ आखी की इछा औरौ धन दौलत का घमण्ड, ऐजौ पिता पौरमेशवर कै ढौबौशौ ना आथी पौरौ दुनिया कै ही ढौबौशौ औसौ।
तू तिथकै निशोंक हौयौ बैजाए पीड़ो औरौ दुख दियांदा जू तिथकै ऐशौ आराम कै जीवन कै तरीकै औरौ तिथकै आपणै प्रति घमण्ड कै बराबर औसौ। तिथ शहरै आपी खै बौल़ौ, “हांव ऐक राणी कै जैशणै लोगौ पांदी राज्य कौरदी। हांव ऐक विधवा ना आथी औरौ हांव दुख कै महसूस ना कौरदी।”