तीतुस 2:5 - Sirmouri5 अरह् से झ़ूक्की-शियाँगी अंदी ने हों, से पत्ति-बरत्ता, अरह् आप्णे घरह् की आच्छ़ी काँम-काज़ कर्णो वाल़ी, भली, अरह् आप्णे-आप्णे घरवाल़े के बंष दी रंहणों वाल़ी हों, जू पंण्मिश्वर के बचन की नीदया ने हों। အခန်းကိုကြည့်ပါ။सिरमौरी नौवाँ नियम5 औरौ सौमझदार औरौ आपणै घोरवाल़ै कै प्रति वफादार हौंव, औरौ आपणै घोर कै सम्भाल़णो वाल़ी हौंव, औरौ आपणै-आपणै घोरवाल़ै कै औधिकार का आदर कौरणौवाल़ी हौंव ताकि कुणिए बै पौरमेशवर कै सौंदेश कै बारै मुंजी बुरी बातौ नै कौरे सौकौ। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
अरह् जिऐं आप्णें भले काँम-काज़ लंई आपु खे नाँव कंमाँऐ थुवा हला, जिंऐ आप्णें नहाँन्ड़िया का आच्छ़ा पालना-पोष्ण करी थुवा हला; अरह् जिऐ पाँऊँणें-पंई का आच्छ़ा आदर-संत्तकार करी थुवा हला, अरह् जिऐं पबित्र लोगो के लात्त धोऐ थुऐ हंले; अरह् कोसी दींन, दु:खिया की मंद्दत्त करी थंऐ हली, अरह् जुण्जी सोभी आच्छ़ै काँम-काज़ दी मंगन रंह् हले।