28 किन्देंखे के प्रभू आप्णा बचन धर्ती गाशी पुरा करियों, आप्णा नियाँव शिंघों पुरा कर्दें।”
28 जिथुकै “प्रभु तावल़ा ही दुनिया कै सौबी लोगौ का न्याय मोजबूती शै कौरदा।”
किन्देखे के तेसी देसे ऐत्रा जादा दु:ख-कल़ेष हंदा; जेष्णाँ ना संईसारी दा ऐतलो तोड़ी कंद्दी हई, अरह् ना कंद्दी हजो हंदा।
किन्देंखे के तिन्ऐ सेजो ऐक देस पाक्को करी थुओं, के जबे बादे आदमी संईसारी का नियाव के रूप दा बिचार करह्; किन्देंखे के पंण्मिश्वर ऐं तेसी आदमी हजों पाछ़ू ऊबा जीऊँदा करियों ईन्दे का परमाँण भे देऐ थुवा।”
तबे मुँऐ स्वर्ग खुलो अंदो देखो, अरह् का देखू के ऐक चीट्टा घोड़ा असो; अरह् तेसी गाशी ऐक अशवार असो, जू बिश्वाष ज़ूगा, अरह् साच्चो बुलो, अरह् से धर्म आरी नियाँव अरह् लड़ाऐ-ज़ूद्ध करह्।