आँमें लोग भे आगे तिनही अपराधियों के साथी-संगाथीं थिऐ; जबे आँमें आप्णी देह्-शरीर की बासना के बष दे थिऐ; अरह् आप्णी मंन की हिछ़या पुरी करह् थिऐ, तअ आँमें भे ओकी ही जैष्णें आप्णें सभाँव के कारण पंण्मिश्वर की सजा ज़ूगै थिऐ।
तअ तिन्ऐ अमाँरी मुँक्त्ति कराऐ; अरह् ऐजो अमाँरे धर्म की काँम-काज़ के जाँणें ने, जुण्जे आँमें आपु करे, परह् तिनकी दया-रंय्म के जाँणें नुंऐं जन्म के नहाँण-नहाँणों अरह् पबित्र-आत्त्मा के जाँणें नुंऐं बणाऐं गुऐ।
से छैल़्टे आरी लड़्दे, परह् छैल़्टा तिन शा जींत्ती ज़ाँदा, किन्देंखे के से प्रभूओं का प्रभू, अरह् राजाओं का राजा असो, अरह् जू बईदे अंदे, अरह् चूणें-छाँटे अंदे अरह् बिश्वाषी असो, से तेस्की गईलो असो; से भे राज्य पाँदें।”