के से आप्णी बड़ियाऐ के धन के मुँताबिक तुँओं खे ऐजो दाँण दियों; के तुँऐं तिनके पबित्र-आत्त्मा शे आप्णें भत्ले आछे बिचार दे शक्त्ति पाँऐयों तागतबर बंणदे ज़ाँव,
परह् तुँवारी चुप्पी बिना दे:खी इंनसाँनिय्त, अरह् नरमाँऐं वाल़ा मंन की गरबाई जिन्दे के सजावट कोद्दी ने मिट्दी से संज्जी अंदी रंह्, किन्देंखे के पंणमिश्वर की नंजरी दा ईन्दें का मोल बैजाऐ बड़ा असो।