परह् मेरे आप्णी देह्-शरीर की अंग दी ऊक भाँत्ता ही निय्म दे:खाई पड़ो, जू मेरे अंध्यात्त्मिक सभाव शा लड़ो, अरह् मुँह पाप के तेसी निय्म के बंण्धंण दा पाँव, जुण्जा मेरे देह्-शरीर के अंग दा बास करह्।
किन्देंखे के जे मंन की हिछ़या हों, तअ दाँण तिन्दें के मुताबिक धारण भी करो ज़ाँव, जुण्जों तैस कैई असो ऐ, ना के तिन्दें के मुताबिक जुण्जो तैस कैई आथी ने।