किन्देंखे के शादी-शुदा तिरंई ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्म के मुँताबिक शी आप्णे घरवाल़े के जीऊँदे रंहणों तोड़ी शादी के बंन्धण दी बंदी रंह्, परह् जे तियारा घरवाल़ा मरी ज़ाँव तअ से घरवाल़े के निय्म शी छुटी ज़ाँव।
तअ: ऐबे जू मसीया यीशू के असो, तिनू् गाशी पंणमिश्वर की सजा के अज्ञाँ ने आथी। (किन्देंखे के से देह्-शरीर के मंन की बुरी हिछ़ा शे ने, परह् पबित्र-आत्त्मा की हिछ़ा शे चालो।)
ईन्देंखे जबे के मसीया ऐ देह्-शरीर दे रंह्ऐयों दु:ख भूगा तअ तुँऐं भे सेजी ही हिछ़या धारण करह्, किन्देंखे के जिन्ऐं देह्-शरीर दा दु:ख भूगा से पापो शा मुँक्त्ति पाँव,