18 तिनकी आँ:खी के साम्णें पंणमिश्वर का डर ने आथी।”
18 तिनुमुंजी पौरमेशवर का कुणजाई डौर ना आथी।”
परह् ओकी कु-कर्मी ऐं तेसी झाड़ा, के “कियो तू पंण्मिश्वर दा भे डरदा ने? तुऐं भे तअ ऐजी ही सजा भोक्त्ति लऐ।
तिन्ऐ शाँण्त्ति की बाट ने जाँणी।
तबे सिंगाँस्हणों शा ऐक शाह्द गूँह्ज शुँणाँई दिती: “हे अमाँरे पंण्मिश्वर शे डर्णो वाल़े दासों, भाँव छोटे हों, भाँव बड़े हों, तुऐ बादे झ़ुणें तिनकी अरार्धना करह्।”