11 कुँऐं भे सम्झदार ने आथी; कुऐं भे पंणमिश्वर की खोज कर्णो वाल़ा ने आथी।
11 ऐशणा ऐक बै आदमी ना आथी जू सौथी कै सौमझौए कै का सोही औसौ; कुणिए बै पौरमेशवर कै ना जाणणा चांव।
जुण्जा कुँऐं आदमी, पंणमिश्वर के राज्य के बचन शुणिंयों सम्झोंदा ने, तबे शैतान तेथै आँव अरह् तेथै जू भे किऐ बचन को बींज़ तेस्की सासो दो बऐ थो, से तेसी कैई शो तेथू दड़ियों आगू नियों, अरह् से सेजो ही बींज़ असो, जुण्जो बाटो पुडो पड़ो।
से आपु-आप्खे सम्झदार जाँणों, परह् से मुरूख बंणी गुऐ,
जबे तिन्ऐ पंणमिश्वर पछयाँण्णा ने चहाँई, तअ पंणमिश्वर भे तिनू तिन्के निंकाँमें-बुरे मंन गाशी छुड़ी दिते, के से सेजे काँम-काज़ करह्, जुण्जी कर्णी ने पड़ो थी।
जेष्णों पबित्र-ग्रन्थों दो लिखी थो: “कुँऐं भे पंणमिश्वर की नंजर दे बै-कसूर ने आथी; ऐक भे आथी ने।
बादे झुणे भट्की गुऐ, बादे के बादे नि-काँम्मेंं बंणी गुऐ; कुँऐं भे भलाई कर्णो वाल़ा ने आथी, ऐक भी ने।
किन्देंखे के आदमी खे आप्णें पाप वाल़े सुभाव दा मंन लाँणा तअ पंणमिश्वर शो बईर असो, किन्देंखे के ना तअ पंणमिश्वर निय्म के बष दे आथी, अरह् ना ऐष्णों हऐ सक्दो;
किन्देंखे के आगे आँमें भे बै-अक्ले, अरह् अज्ञाँ ने माँनणों वाल़े थिऐ, धोखे अरह् ऊकी हिछ़या की सूख-विलास के कर्जदार थिऐ, बईर भाव, अरह् डाह-जल़ंन कर्णो दा जीवन बिताँव थिऐ, अरह् ओकी दे शंगाँव थिऐ, अरह् ओकी शो बईर करह् थिऐ।
आँमें ऐजी सच्चाऐ जाँणों ऐ, के पंण्मिश्वर का बैटा आऐ, अरह् आँमों खे ऐजी संम्झ दिती जू सच्चाऐ असो, आँमें तियों जाँणों, अरह् तिन्दें अट्ल़ पाक्के मंन दे बंणें रंह्, जू सच्चाऐ असो, मतल्व तिनके बैटा मसीया प्रभू यीशू शे ही सोतिखे पंण्मिश्वर अरह् सदा-सदा का अमर-जीवन असो।