22 ईन्दी ही हाँव तुँओं कैई आँणों शा बार-बार रूका रूआ।
22 इथकारिए हांव तोंवारै धोरे आणौ शै बार-बार रौकै गौआ।
परह् संत्त-यूहन्ना ऐजो बुलियों तिनू रूक्दे लागे, के “मुँह तअ आपु भे तुवाँरे हाथे नहाँण-नहाँणों की जरूरत असो। अरह् कियों तुँऐं मुँह कैई आप्णें नहाँण-नहाँदें आऐ रूऐ?”
हे भाऐ बंईणों, हाँव ने चहाँदा के तुँऐं ईन्दें अंण-जाँण रंह्, के मुँऐं बार-बार तुँओं कैई आँणों चहाँव, के जेष्णें ओके गऐर यहूदी मुझ़ शी बिश्वाष दे लोग आऐं, तेष्णें ही तुँओं मुझ़ शी भे लोग बिश्वाष दे आऐ चैईं थिऐ। परह् हेभी तोड़ी मुँह रूका गुवा।