प्रकाशितवाक्य 7:14 - Sirmouri14 मुँऐ तैस्खे बुलो: “हे श्री माँन, ऐजो तअ तुँऐं जाँणों।” तेने मुँखे बुलो, “ऐजे सेजे असो, जू बड़े कल़ेष मुँझ शे नींक्ल़ियों आऐ रूऐ; ईनू लोगे आप्णे-आप्णे खोट्णों छ़ैल़्टे के लह्ऊँ लई धुईयों चींट्टे बाँणीं थुऐ। အခန်းကိုကြည့်ပါ။सिरमौरी नौवाँ नियम14 मोऐं तैसीखै बौल़ौ, “ओए रै स्वामी, हांव ना जाणु पौरौ तू जाणै।” तैणै मुंकैई बौल़ौ, ऐजै सैजै लोग औसौ, जिनुवै बौड़ै कोष्ट महसूस कौरे। इनुवे आपणै लुस्कै कै मेम्ने कै लोऊ शै धोए पाए औरौ सै चिटै हौए गौवै, इथका मतलब ऐजा औसौ कै तिनकै पापौ कै मिटाए दिए गौवै। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
तबे मेरे ऐशो जाँणियों जेष्णों मुँऐ ऐक काँचों का ढाब देखी लुवा, जिन्दी आग जैऐ मिलाऐ थंऐ, मुँऐं तेसी कुँड की टिराँव्टी गाशी तिनू खड़े देखे; जिन्ऐं तेथू खराब-माँरकुट बुँणेंर अरह् तेथ्की मुँर्ति अरह् तेथ्को नाँव की गीनती गाशी जीत्त पाऐ थंऐ थी, अरह् तेस्की हाथों दी पंण्मिश्वर के जाँणें देऐ गऐ ऐक कनाल़ भे थी।
ईन्दें पाछी मुँऐं झ़ेठ पाऐ, अरह् देखो, के मेरे सहाँम्णें ऐक बैशुमाँर बड़ी लोगो की भीड़ जल़सा खह्ड़ा हुआ, जिन्दें की गिनती कुँऐ ने करी पाँव थिया। ऐसी जल़्से भीड़ मुँझी हर ऐक जात्ती मुँझ शे अरह् हर कुँल़-गड़ी अरह् हर भाषा के लोग थिऐ। से तेसी सिंगाँस्ण के सहाँम्णें तेसी छ़ैल़्टे कैई खह्ड़े हुऐ, चिट्टे खोट्णों बाँम्बियों आप्णें हाथों दी खंजूर की डाल़ी लऐयों आऐ,