ना, तअ जे तू आत्त्मा ही शा पंणमिश्वर का धन्यबाद करला, तअ तबे अजाँण्दे लोग तेरे धन्यबाद गाशी आमीन किया-किया बुल्दे? किन्देंखे के सेजे लोग तअ जाँण्दे ने के तुँऐं का बुली लो?
अरह् तेसी सिंगाँस्हणों के सहाँम्णें बिल्लौर के जेष्णाँ काँच का समुँन्द्र असो। अरह् बिच्चों के सिंगाँस्हणों के बीच दे अरह् सिगाँस्णों के चौऊँ ढबे चार जींव असो, जिन्के आगू-पाछू आँखी ही आँखी असो।