ईन्देंखे जाँव तोड़ी प्रभू ने आँव, तेसी बख्तो शा आगे कोसी भी बातो का नियाँव ने करे: किन्देंखे के से ईनाँरे दी दब्बी अंदी बातो आपु पियाशै दी दे:खाले, अरह् आदमी के मंन के बिचार भे आपु पर्गट कर्लें, तबे पंणमिश्वर की ढबे शी ऐकी नाँमों के बड़ियाऐ हली।
ऐबे आँमें बिना शंक-शुभे के आप्णाँ तेसी भूर्षे दे पाक्कै अट्ल़ रंह, जेसी आँमें धारण करी थुवा; किन्देंखे के जिन्ऐं बाय्दा करी थुवा, से बिश्वाष ज़ूगै असो।