किन्देंखे के से आपु ही अमाँरे बारे दो बुलो, के तुँओं कैई अमाँरो आँणों केष्णों हुओ; अरह् तुँऐं केशे मुर्त्तियाँ छ़ुड़ियों पंण्मिश्वर के ढबे फिरे, जू जीऊँदे अरह् साच्चै पंण्मिश्वर की सेवा करह्।
सेजे भे पंण्मिश्वर के रोष, के सूर पीला, जुण्जी पंण्मिश्वर के रोष के बैलूवें दी पाऐ गऐ थी, तेसी पबित्र-स्वर्गदूत्तो, अरह् छ़ैल़्टे के सहाँम्णें आग, अरह् गंन्धक की गईरी बैद्णीं दे पाऐ ज़ाले।