प्रकाशितवाक्य 13:6 - Sirmouri6 तैथू ऐ पंण्मिश्वर कैई चूगली कर्णो खे आप्णों मुँह खुलो, के तिनका नाँव अरह् तिनके ताँम्बू मतल्व स्वर्गो दे रंहणों वाल़े की चूगली करह्। အခန်းကိုကြည့်ပါ။सिरमौरी नौवाँ नियम6 राकसै पौरमेशवर खै नेंदैया कौरणै शुरु कौरे, कै सै तैसकै नांव कै खिलाफ औरौ तैसी ठाँव कै खिलाफ बौल़ौ जिथै पौरमेशवर रौंव यानी स्वर्ग कै, औरौ तिनु सौबी लोगौ कै खिलाफ जू स्वर्ग दै रौंव। အခန်းကိုကြည့်ပါ။ |
ईन्देंखे हे स्वर्ग; अरह् ईन्दें रंहणों वाल़े लोग, आँनन्द-खुशी मंनाँऐयों अरह् मंगन हऐ ज़ाव! परह् फ़िट्कारा असो, ईयों धर्ती, अरह् समुँन्द्रों खे; किन्देंखे के ऐ ऐजो जाँणीं पाँव के तुवाँरा बंख्त्त हजो ठीका ही असो, किन्देंखे के शैतान तुओं तोड़ी पंह्ऊँचीं गुवा, अरह् से बैजाऐ रोषै शा भरी गुवा, किन्देंखे के तेस कैई ऐजा पता लागी गुवा, के ऐबै मेरा बंख्त्त ठींका ही असो।”
तबे मुँऐं सिंगाँस्हणों शी ऐक जुराल़ी गंम्बीर धाव ऐजो बुल्दे शुणीं, “देख, ऐजो असो, आदमी के बीच दो पंणपंण्मिश्वर का डेरा! अरह् ऐ तिनू मुँझी बास करदा, अरह् से तेस्की प्रजा हंदी; अरह् पंण्मिश्वर तिनू मुँझ़ी रंह्ऐयों आदमी के बीचो दा असो। से तिनकी गईलो डेरा करदा, अरह् से तिनके लोग हंदे, अरह् पंण्मिश्वर आपु तिनकी गईलो रंह्ऐयों, तिनके आप्णें पंण्मिश्वर हंदे।
तेष्णीं ही मुँऐं बादी संईसारी-स्वर्गो दी, ईयों धर्ती थाँई पताल़ो दी, संमुन्द्रो अरह् तिन्दी बंसी अंदी बादी सिर्जी-बंणाई अंदी चींजो दी, अरह् सब-कुछ जुण्जो किऐ तिन्दो असो, तिनू ऐजो बुल्दे शुँणों: “छ़ैल्टे का अरह् सिंगाँस्हणों गाशी बईठा अंदा असो, स्त्तुति, आदर, बड़ियाऐ, अरह् हंक-अधिकार, सदा-सदा हंदा रंह्!”
ईन्दें पाछी मुँऐं झ़ेठ पाऐ, अरह् देखो, के मेरे सहाँम्णें ऐक बैशुमाँर बड़ी लोगो की भीड़ जल़सा खह्ड़ा हुआ, जिन्दें की गिनती कुँऐ ने करी पाँव थिया। ऐसी जल़्से भीड़ मुँझी हर ऐक जात्ती मुँझ शे अरह् हर कुँल़-गड़ी अरह् हर भाषा के लोग थिऐ। से तेसी सिंगाँस्ण के सहाँम्णें तेसी छ़ैल़्टे कैई खह्ड़े हुऐ, चिट्टे खोट्णों बाँम्बियों आप्णें हाथों दी खंजूर की डाल़ी लऐयों आऐ,