किऐ भे अ-शुद्ध-गाँन्दी चींज, ऐसी नंगर दी ना तअ दाखिल हऐ सक्दी; अरह् ना सेजे लोग जिनका सभाव बिचका, अरह् शंगाँव्णा हों, अरह् जिनकी बातो झूठों लई भरी अंदी हों; ईन्दें सिर्फ सेजे ही लोग हाजीर हऐ सको, जिन्के नाँव छ़ैल़्टे के जीवन की कताबी दे लिखें अंदे हले।