हे मेरे प्यारे भाऐ बंईणों शुणों। कियों पंणमिश्वरे ईयों संईसारी के गरीब कंगाल छाँटी ने थई, के बिश्वाष दे सैठ-सहऊँकार अरह् तेसी राज्य के हंक-अधिकारी बण्ल़े, जिन्देका बाय्दा पंणमिश्वर तिनू आरी करा जुण्जे लोग तेछ़ौ पियार करह्?
जिनके काँन हों से शुँणी पाव, के पबित्र-आत्त्मा कलीसियों खे का बुलो। के जुण्जा जींत्ती ज़ाँव, हाँव तैस्खे तेसी जीवन के बड़े डाल़-पेड़ मुँझ्शो जू पंण्मिश्वर के स्वर्गो दा असो, तिन्दें के फल़ खाणों देऊँबा।”