ऐजो जरूरी असो, के से तेसी बख्हत्तो तोड़ी स्वर्गो दे ही रंह, जाँव तोड़ी तिनू बादी चींजों की हजो: थापनाँ ने हऐ ज़ाँव; जिन्दें के बारे दो पंण्मिश्वर ऐं ज़ूगौ शो ऊँबो आप्णें पबित्र-ऋषियों के मुँख्हों शो बुलो थियों।
घरवाल़ा अरह् घरवाल़ी ऊको ओकी की देह्-शरीर के बाँन्णों शे दुर्के ने रंह्; परह् जे दुई की राजा-बंदी शो किऐ बख्तो खे दुर्को भे रंहणों पड़ो, तअ सिर्फ प्रार्थना खे; अरह् तेई तैख्णी से पाछू मीलियों रूऐ चैईं, जू तुवाँरी देह्-शरीर की लाल्सा के कंम्जूरी का फाऐदा शैतान ने ऊठाँव अरह् तुँओं परख दे ने फंशाँव।