31 असमाँन अरह् धर्ती टल़ी ज़ाली, परह् मेरी बातो कदी ने टल़्दी।”
31 गौयण औरौ धोरती टोल़े जालै, पौरौ मैरी बातौ हमैशा रोन्दी।”
अस्माँन अरह् धर्ती टल़ी ज़ाली, परह् मेरी बातो कद्दी ने टल़्दी।
मुँऐं तुँओं कैई ऐक सच्च पर्गट करी लो: जाँव तोड़ी असमाँन अरह् धर्ती मंजुद असो, ताँव-तोड़ी पबित्र-ग्रन्थों का ऐक भे बिन्दु के माँत्रा ने घट्दी, जाँव तोड़ी सब-कुछ नाँष ने हंऐ ज़ाँव।
हाँव तुँओं खे खास बात बुलू, के जाँव तोड़ी ऐजी बादा बातो ने हऐ ज़ाँव, ताँव-तोड़ी तेसी ज़ुगौ के लोगो का बाल़ भे बागा ने हंदे।
“तेसी देसो अरह् तियों बख्तो के बारेदो कुँऐं ने जाँण्दे, ना स्वर्गदूत्त अरह् ना बैटा; परह् सिर्फ परंम-पिता पंणमिश्वर जाँणों।”
असमाँन अरह् धर्त्ती टल़ी ज़ाली, तअ टल़ी ज़ाली; परह् मेरे बचन कंद्दी ने टल़ी सक्दे।
आँमें भाँव बंईमाँन भे बंणों: तबे भे से ईमाँनदार असो, किन्देंखे के से आप्णा स्वभाव ने बंद्ल़ी सक्दे।
तेसी अमर हणों के भुर्षे गाशी, जिन्देका बाय्दा पंण्मिश्वर ऐ, करा जू झूठो ने बुली सक्दा, तेने ज़ूगौ-ज़ूगौ शा करी थुवा।
ईन्दें पाछ़ी मुँऐ ऐक बड़ो चींट्टो सिंगाँस्ण अरह् तिन्दें गाशी बऐठा अंदा आदमी देंखा, अरह् धर्ती अरह् अस्माँन तेस्के सहाँम्णें छाँई-माँई हंऐ गुओं अरह् तिन्देंका ऐजा पंता ने लागी के से कैथे गुओ।