17 तेष्णी ही ऐक आच्छ़ी डाल़ी दा आछा फल़ लागो, अरह् निकारी डाल़ी दा नीकारा फल़ लागो।
17 ऐशैखैई हरेक आछा डाल़ आछा फल़ लांव, औरौ बुरा डाल़ बुरा ही फल़ लांव।
ऐष्णों हऐ ने सक्दो, के आछी डाल़ी दा बुरा फल़ लागो; तेष्णा ही बुरी डाल़ी दा आछ़ा फल़ ने लागदा।
(किन्देंखे के त्तेज-प्रकाश का फल़ साँत्त-भाती भलाई, अरह् धार्मिक्त्ता, अरह् सच्चाऐ असो),
प्रभू यीशू मसीया के कृपा लऐयों, तुँऐं प्रभू के नंजर दे बैजाऐ आच्छ़ै काँम-काज़ करह्, जिन्दें लंई पंण्मिश्वर के बड़ियाऐ हों, अरह् तिनकी संत्तुति हों।
जू तुवाँरा चाल-चल़्ण प्रभू ज़ूगा हों, अरह् से हर तरेह् शे खुशी हों; अरह् तुँओं दे हर किस्म के भले काँम का फल़ लागो, अरह् पंण्मिश्वर के पछ़याण दे बढ़्दे ज़ाँव।
ऐजे लोग तुँवारी पियार की खुम्ल़ी दो तुँवारी गईलो खाँदें, पींन्दें रंह्, ऐजे लोग संमुन्द्रो दी छुपी कऐड़ी जेई असो; अरह् बै-झीझ्क बै-धड़क आप्णों पेट-ओजरा भरो; से बिना पाँणी के बाद्ल़ो जिऐ असो, जुण्जे बागूरिऐ ऊड़ाऐ ज़ाँव; ऐ बै-मोस्मी फल़ की जेई डाली जुण्जी दूबंई मंरी गुऐ अरह् जंड़ शै ऊखलियों हुटे।