6 भागोईत असो! सेजे जू धर्म के भूखे-च़ीषे असो, किन्देखे के तिनू छ़कऐं देई दे।
6 “धन्य औसौ सैजै जू धार्मिकता शै साचा जीवन जिणौ कै इछा राखौ, पौरमेशवर तिनुकै छोकाला।”
प्रभू ऐ भूखे आच्छ़ी चींजो लई छकऐं दिऐ, अरह् तिन्ऐ सेठ लोग रिते हाथै आगू ड़ेयाल़े।
भाग्ईंत असो! तुँऐं जू बचनों के भूखे असो, तुँओं बचन लई छ़कऐं देंई दे, भाग्ईंत असो! तुँऐं जू रूओं ऐ, तुँऐं हस्ले अरह् खुशी हले।
नीर्भाग असो, तुँऐं जू आपु आप्खे रजे-पूजे जाँणो, तुँऐं भूखे रंह्ले; नीर्भाग तुँऐं जू हस्दे लागो, तुँऐं रूले, अरह् शोक मनाले।
परह् जुण्जा कुँऐं मेरो दितो अंदो ऐजो जल पीला, तेसी हजो कोद्दी भे च़ीष ने लागदी; अरह् जुण्जों जल हाँव तेस्खे देऊँबा, सेजो जल तेस्दो फट्वाँणी जियों फाट्लो, जुण्जो हमेशा के अमर-जीवन खे बड़्दो रंह्लो।”
नाँष बाँन भोजन खे ने, परह् तेसी भोजन खे मेंह्नत्त करह्, जुण्जा सदा खे अमर-जीवन तोड़ी रंह्; जुण्जा जीवन आदमी का बैटा तुओं खे देला, किन्देंखे के बाबा, मतल्व परंम-पिता पंण्मिश्वर ऐं आप्णी ही हिछ़या आरी, सिर्फ तेस्खे ही सेजा हंक-अधिकार देऐ थुवा।”
मेल़ै के आखरी, अरह् खास देसे, प्रभू यीशू खह्ड़े हुऐ; अरह् तिन्ऐं जुराल़ो बुलो, “जे कुँऐ च़ीषा असो, तअ से मुँह कैई आँव, अरह् ऐजो जीवन को जल मुँह कैई शो पीयों।
ऐ ऐबे ना तअ हजो भूखे हंदे; अरह् ना ऐ च़ीषे रंह्दे: अरह् ना ईनू सुर्जो के गर्मी भाड़ी सक्दी, अरह् ना किऐ ओकी गर्मी;