किन्देंखे के ऐजा बाय्दा करा गुवा, के तू संईसारी का बारिस हंईदा, ना अब्राहम खे अरह् ना तेस्के बंष खे, अरह् ना ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐं निय्म के जाँणें; परह् सिर्फ बिश्वाष कर्णो के जाँणें पंणमिश्वर की नंजरी दा बै-कसूर बंण्णों के जाँणें सेजा बाय्दा पुरा हुआ।
परह् तुँवारी चुप्पी बिना दे:खी इंनसाँनिय्त, अरह् नरमाँऐं वाल़ा मंन की गरबाई जिन्दे के सजावट कोद्दी ने मिट्दी से संज्जी अंदी रंह्, किन्देंखे के पंणमिश्वर की नंजरी दा ईन्दें का मोल बैजाऐ बड़ा असो।