27 “तुँऐं ऋषी-मूसा खे दिऐ गुऐ अज्ञाँ-निय्म दो शुणी थुओ, के ‘चोरी-जारी ने करे।’
27 “तुऐं इयौं आज्ञा कै बारै मुंजी शौणै तौ राए कै, ‘गौलत सौमबंध नै बाणैया।’
“तुँऐं ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ अज्ञाँ-निय्म दो शुणी थो, के पुराँणे ज़ूगौ के लोगो खे बुलो गुवो थियों, के ‘हंत्त्या ने करे’, अरह् ‘जू कुँऐं हंत्त्या करला से दालत दा सजा ज़ुगा हला।’
“ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ अज्ञाँ-निय्म दो तबे तुँऐं शुणी थो, के पुराँणें ज़ूगौ के लोगो खे बुलो गुओं थियो, के ‘झूठी षोह्-शपद् ने खाऐ, परह् प्रभू खे आप्णी षोह्-शपद् ही पुरी करे।’
“ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्म दो तुँऐं शुणी थो, के, ‘आँ:खी के बद्ल़े आँ:ख, अरह् दाँदो के बद्ल़े दाँद।’
“ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ निय्म दो तुँऐं शुणी थो, के बुलो गुओं थियों, के ‘आप्णे पड़ोसी शो पियार थुऐं, अरह् आप्णी बऐरी शो बईर।’