ऐजो जरूरी असो, के से तेसी बख्हत्तो तोड़ी स्वर्गो दे ही रंह, जाँव तोड़ी तिनू बादी चींजों की हजो: थापनाँ ने हऐ ज़ाँव; जिन्दें के बारे दो पंण्मिश्वर ऐं ज़ूगौ शो ऊँबो आप्णें पबित्र-ऋषियों के मुँख्हों शो बुलो थियों।
जे कोसी कैई संईसारी की जजाऐत हंदे भे आप्णें बिश्वाषी भाई-बंईणी की जरूरत के अंण दे:खी करह्; तअ कियों दाँई ऐजो बुलो ज़ाँदों के ऐस्दो पंण्मिश्वर को पियार असो?