18 अरह् जुण्जे खेच़ौ दे हों, से आप्णे खोट्णों लोंदे पाछू ने फीरो।
18 औरौ जू खेतौ दै हौलै, सै आपणै खोटणो लेयांदै पाछु घोरे नै आया।
जुण्जे छापरो गाशी हों, से आप्णे घर दे समाँन लदे ऊदे ने आँव;
“तिनू देसो दी जुण्जी पेट्भारी हों, के सेजी जिनके दु-दू पाँडे नहाँन्ड़िया हों, तिनू गाशी बैजाऐ दु:ख कष्ट की घड़ी आँणों वाल़ी असो!
“तैसी देसे जुण्जा कुँऐं छाप्रो गाशी हला, अरह् तैस्को समाँन भितोर घरह् दो हलो; तअ से तैथू समाँनों लियाँदा ऊदा ने आँव; अरह् जुण्जा कुँऐ खेच़ौ दा हों से भे पाछ़ू ने आँव।”