सचाऐं तअ ऐजी असो, के ऋषी-एलिय्याह तअ आगे ही आऐ रूवा, परह् लोगे तेसी पछ़्याँणीं ने; तिनिऐं ऋषी-एलिय्याह आरी, आप्णी मंन-मानी करी, ठीक तेष्णा ही जेष्णा से आदमी के बैटे खे दु:ख, अरह् कष्ट देंदे।”
ऐजो जरूरी असो, के से तेसी बख्हत्तो तोड़ी स्वर्गो दे ही रंह, जाँव तोड़ी तिनू बादी चींजों की हजो: थापनाँ ने हऐ ज़ाँव; जिन्दें के बारे दो पंण्मिश्वर ऐं ज़ूगौ शो ऊँबो आप्णें पबित्र-ऋषियों के मुँख्हों शो बुलो थियों।