परह् ईन्देंखे के तेने तेसी बचन दी जड़ ने सारी पाका ने हई, से ठीके ही बख्त्तो खे टीकी सको; परह् जेई तेस गाशी बचन के कारण दु:ख सताव पड़ो, तेई से तेसी ही बख्ते तेसी मंत्त-ज्ञाँन शा भट्की ज़ाँव।
परह् बै-बिश्वाषी लोग पंणमिश्वर की आत्त्मा की बातो माँन्दें ने; किन्देंखे के सेजी बातो तिन के नंजरी दी बै-कार असो, अरह् ना तिनके सेजी बातो संम्झ आँदी किन्देंखे के सेजी बातो पबित्र-आत्त्मा की शक्त्ति शी ही सम्झ दी आँव।
अरह् से बंणा: “ऐक पाथर जिन्दे शा लोगो के ढैस लागो, अरह् ऐशी कऐड़ जिन्दे गाछ़ै लोग ऊँदे रंड़को;” लोगो के ढैस लागो, किन्देंखे के से पंणमिश्वर के बचन का पाल़्ण ने कर्दे, अरह् बस ऐजो ही तिनखे बाँणी थो।