31 ईन्देंखे डरे ने, तुवाँरा दाँम-कीम्त्त तअ कऐयों च़ीड़ियाँ शी जादा असो।”
31 इथकारिए डौरेया नै, तुऐं बौहितै चिड़कुल़ै दै बै बौड़ैयो औसौ।”
अस्माँनों के चोचेटू-चड़कुले दे:खो! से ना बोंदे अरह् ना लुणदे, अरह् ना खेच़ौ दो सलाँदे; तबे भे तुवाँरा स्वर्गो का पिता तिन कैई शो खाँणों खे खियाँव। कियों तुँऐं तिन शे जादा किम्त्ति आथी ने?
अरह् देई कोऊवे चंच्चैटू का खयाल करह्, से ना तअ किऐ बाँदें-बोंदे, अरह् ना किऐ लुण्दे-सलाँदें, तिन के ना तअ कुँठार-कुँठारी आथी, अरह् ना किऐ खल़ा-खल़ियाँन आथी; तबे भे पंण्मिश्वर तिन कैई शो खाँणों खे खियाँव; तबे भे तुऐं तअ तिनू कोऊँवे-चंच्चैटू शे कैथी जादा बड़ियों असो।