24 “चैला आप्णें गुरू शा बड़ा ने हंदा; अरह् ना दास आप्णें स्वामी शा बड़ा हंदा।
24 “चैला आपणै गुरु दा बौड़ा ना हौंव; औरौ ना ही नोकर आपणै मालिक दा बौड़ा हौंव।
चींत्तें थुंऐ, के मुँऐ तुँओं खे का बुली थो: के दास सेंवक आप्णें माँलिक शा बड़ा ने हंदी, किन्देंखे के जबे तिन्ऐं मुँह सताँऐ थुवा; तअ से तुओं भे जरूर सताँदे ऐ; जे से मेरे बचन का पाल़्ण कर्दे, तअ से तुवाँरे बचन का भे पाल़्ण कर्दे थिऐ।
चैला आप्णे गुरू शा बड़ा ने हंदा, परह् बादी शिक्क्षा भेट्णों गाशी से आप्णें गुरू जैष्णा बंणी ज़ाँव।
हाँव तुँओं खे ऐक खास बात बुलू, के दास आप्णें माँलिक शा बड़ा ने आथी, अरह् ना डेयाल़ा अंदा आप्णें डेयाल़्णों वाल़ा शा बड़ा आथी।
चैले का गुरू के, अरह् दास का मालिक के बुराबर हणों ही बैजाऐ असो, जबे तिन्ऐ घर के मालिक खे शैतान बुला, तअ तेस्के घईले खे से का-का ने बुल्दे!”