12 घर दे दाखिल हंदे बख्ते तिनखे आशिर्बाद दिऐ।
12 औरौ घोरे कै भिटै जांदै ही तैसीखै आशीष दैया।
“कोसी भी गाँव के नंगर दे ज़ाव, तअ ऐजी खोज करह्, के ईथै काबील आदमी कुँण असो, अरह् तेथै शे बिदा हंणों तोड़ी तेथी तेसी कागी पाऊँणें बंणियों रूऐ।
जे तेसी घर के लोग तुवाँरे आशिर्बाद के कल्याँण ज़ुगे हले, तअ तिनका कल्याँण हंदा, परह् जे से तिन्दें ज़ूगै आथी ने, तअ तुवाँरा आशिर्बाद का कल्याँण तुँओं कैई पाछु आँदा।
पंण्मिश्वर ऐं इस्राएलियों खे आप्णा आच्छ़ा शुझ़ा दिता, अरह् यीशू मसीया के जाँणें, जुण्जे सोभी के प्रभू! पंण्मिश्वर असो: तिन कैई ही शाँण्त्ति की खुषख्बरी शुँणाँणों खे दिती।
ईन्देंखे आँमें मसीया के राज-दूत्त असो; सम्झों पंण्मिश्वर अमाँरे जाँणें बिन्नती करी लऐ। आँमें मसीया की ढबे शी बिन्नती करह्, के पंण्मिश्वर की गईलो मेल-मिलाप करी पाव।
परह् मुँह भूर्षा असो, के तुँओं कैई शा शीघा भेटींदा; तबे आँमें आँम्णें-साँम्णे बात-चीत्त करूबे।