30 अरह् दे:खो, मूसा अरह् ऋषी-एलिय्याह ऐजे दो मंरोद् प्रभू यीशू आरी पह्ली रूऐ थिऐ।
30 तोबै, मूसा, औरौ एलिय्याह ऐजै दो आदमी तैसकै साथै बातौ कौरदै बैई दैखियै।
से ऋषी-एलिय्याह के आत्त्मा अरह् शक्त्ति दा प्रभू के आगे-आगे चाल्णों वाल़ा बंणियों, बाबा का मंन अलादी की ढबै फेरी देंदा; अरह् अज्ञाँ ना माँनणों वाल़े लोग धरमाँईतों की संम्झ गाशी लियाँदा, अरह् प्रभू खे ऐक खास प्रजा तियार करदा।”
तबे प्रभू यीशू ऐ ऋषी-मूसा शी ऊबी, बादे ऋषियों की बरंम्बाँणीं जुण्जी पबित्र-ग्रन्थों दे लिखी गई बातो; का मतल्व आप्णे बारे दा तिन कैई शा बादा सहम्झाया।
तबे प्रभू यीशू ऐ चैले खे बुलो, “मुँऐं तुवाँरी गंईलो रंह्दे बख्त्ते तुओं खे का बुलो थियों; के जुण्जो किऐ ऋषी-मूसा खे भेंटे गुऐं अज्ञाँ-निय्म दो, अरह् ऋषियों के ग्रन्थों दो; अरह् भजन-संहिता दो मेरे बारे दो लिखी थो, सेजो बादो सब-कुछ़ पुरो हंणों जरूरी असो।”
तिन्ऐं जबाब दिता, “संत्त-यूहन्ना नहाँण-कराँणों वाल़ा, अरह् कुँऐं बुलो ऋषी-एलिय्याह, अरह् कुँऐं बुलो, के कुँऐ पुराँणा ऋषी जीऊँदा हऐ रूवा।”
जबे प्रभू यीशू ऐ प्रार्थना करी ही लई थी, तअ तिन के मुँहों च़ैहेरे का रूप बद्ल़ी गुवा; अरह् तिन का च़ूग्गा चीट्टा-शाँख्ल़ा अरह् चंमक्दा लागा।
प्रभू यीशू आप्णी पुरी शाँन-शोक्त्त आरी दे:खिऐ; तिन के मंर्णों के चर्चा करी लऐ थी; जुण्जी यरूशलेम दी हंदी थी।
ज्ञाँन-निय्म जरूर ऋषी-मूसा के जाँणें भेटे थिऐ; परह् कृपा अरह् संच्चाऐ यीशू मसीया के जाँणें पंह्ऊँच़ीं।