31 प्रभू यीशू ऐं हजो बुलो, के “ईयों पीड़ी के लोग कोसी आरी सनाँई? के से कोसी ओनरे?
31 “औरौ हांव ऐसी युगो कै लोगौ कै तुलना कैशैखै कौरु कै सैजै कोसी साए औसौ?
“ईन्देंखे ऐकी नाँमों के बुरा-बरी तिनू आरी करी ज़ाली, जुण्जे मेरी ईनू शिक्क्षा शुणियों ईन्दें का पाल़्ण करह्, से तेसी बुद्धी माँन आदमी जेष्णा हंदा, जेने आप्णों घर ऐकोऊँरी-कऐड़ी गाशी बाँणों।
तबे प्रभू यीशू ऐ बुलो, के “आँमें पंणमिश्वर को राज्य कोसी आरी सँनाई, के से केष्णों अरह् कोसी ऊनंरों असो?
परह् यहूदी भाटे-भाम्णें अरह् यहूदी-निय्म के शिखाँणों वाल़े ऐं संत्त-यूहन्ना के हाथै नहाँण-कराँणों माँनी ने, अरह् आप्णें बारे दी पंण्मिश्वर के हिछ़या बैकार करी दिती।
ऐ तिनू नहाँन्ड़िया जैष्णें असो, जू बईजारंह् दे बऐठियों आपु मुँझी बुलो, के ‘मुँऐं बाँशुड़ी बजाऐ परह् तू ने नाची, अरह् आँमें रूणा-पीटणा करा, परह् तुँऐं ने रूई!’