31 अरह् ओकी कैई शा जैष्णा तू बरताव आपु खे चाँऐं, तैसी आरी तू तैष्णा ही बरताव करे।
31 जैशै तुऐं चांव कै लोग तोंवारै साथै कौरौ, तुऐं बै तिनकै साथै ऐशणाई बर्ताव कौरौ।”
ऐजी ही दुज़ी सोभी शी बड़ी अज्ञाँ असो, के आप्णें पड़ोसी शो ऐष्णों ही पियार करह् जेष्णों के तुऐं आपु आरी पियार करह्।
ईन्देंखे जुण्जो किऐ तुँऐं चहाँव के आदमी तुँवारी गईलो करह्, तअ तुँऐं भे तिनकी गईलो तेष्णों ही करह्; किन्देखे के ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐं अज्ञाँ-निय्म, अरह् पंणमिश्वर की बरंम्बाणीं कर्णो वाल़े के भी ऐजी ही शिक्क्षा असो।
अरह् जुण्जा कुँऐं ताँव कैई शो किऐ माँगला तैस्खे आगु दिऐ, अरह् जुण्जा कुँऐ तेरी किऐ च़ीज आगू दोड़ो, तैस्कैई शी पाछू ने माँगे।
किन्देंखे के बादे निय्म ईयों ऐकी अज्ञाँ दे पुरे हों, के “तू आप्णें पड़ोसी शो आपु जेष्णों पियार करह्।”