28 “परह् तुँऐं सेजे असो, जुण्जे मेरी परख-अजमाऐष के बख्त्ते मेरी गईलो बुरा-बर के साथी असो।”
28 “तुऐं सैजै औसौ, जू मैरी परीक्षाओं मुंजी लगातार मैरा साथ दैंदै रौंव,
परह् मुँक्त्ति छुट्कारा तेसी का हंदा, जुण्जा अंत्त-आखरी तोड़ी बिश्वाष दा पाका रंहला।
तबे: प्रभू यीशू ऐ तिनू यहूदियों लोगो खे बुलो, जिन्ऐं तिनू गाशी बिश्वाष करी थुवा थिया; के “जे तुँऐं मेरी शिक्षायों का पाल़्ण कर्दे रंह्ले; तअ तुँऐं सोत्तिखे मेरे चैले बंण्ले।
के से ईयो सेंवकाई, अरह् खास-चैले का पद्-भार संहम्भाल़ो; जुण्जा यहूदा इसकरियोंती छ़ुड़ियों आप्णी जागा खे हुटा।”
किन्देंखे के जबे तिनू परख-अजमाँणों के दषा दा दु:ख्ह भुगणा पड़ा, तअ से तिनकी भी मंद्दत्त करी सको, जिनकी परख-अजमाँऐष हों।
किन्देंखे के अमाँरा ऐष्णा महाँ-याजक ने आथी, जू अमाँरी कंमजूरी दा अमाँरी गईलो सुखो-दुखो का साथी ने बंणों; मतल्व से बादी बातो दा आँमों जेष्णाँ परखा-अजमाँया गुआ, तबे भे से बै-कसूर नींक्ल़ा।