“हे, गुरू जी! ऋषी-मूसा ऐ आँमों खे ऐजा निय्म बंणाऐ थुवा: के जे कंसी आदमी का भाऐ, आप्णी घरवाल़ी के हंदे भे बिना आगा-जाऐत्रिऐ मंरी ज़ाँव; तअ से आप्णें भाई की बिदवा तिरंई आरी जाज्ड़ा बाँणों, अरह् आप्णें भाई खे अलाद पय्दा करह्; तबे प्रभू यीशू ऐ तिन कैई शी (ऐक कथा शुणाँऐ)