29 “हे परंम प्रधान प्रभू, ऐबे आप्णें बाय्दे के मुताबिक आप्णा सेवक शाण्त्ति शा बिदा करह्;
29 “ओए रै गुरु, तू मुखै, आपणै दास कै आपणै वचन कै हिसाब शै शान्तै शै मौरणौ दै;
अरह् पबित्र-आत्त्मा ऐं तैस्खे आगे बुली थो थियो; के जाँव तोड़ी तुऐं प्रभू का मसीया ने दे:खा ताँव तोड़ी तू मंरदा ने।
सेजा बालक दे:खियों तेने धर्मी-भगत्त शिमौन ऐ आप्णी हंगाल़ी दा करा, अरह् पंण्मिश्वर का धन्यबाद करियों बुलो:
किन्देंखे के हाँव दूई के बिचो दा अदमो दा लटकी रूआ, दिल तअ ऐशो चहाँव, के आप्णीं ऐजी देह्-शरीर छ़ुड़ियों ऐकदंम मसीया कैई ज़ाऊँ; किन्देंखे के ऐजो मुँखे बैजाऐ आछो असो।
तबे मुँऐ स्वर्गो शी ऐजी धाव शुणीं, “लिख: भागोईत हंदें से मंरे अंदे, किन्देंखे के ऐबे तिनकी मंऊँत प्रभू दे हंदी,” ऐजो “साच्चो असो!” पबित्र-आत्त्मा बुलो, “होर, से आप्णी कष्टो-मेंह्नत शा बिषाँव कर्दे, किन्देखे के तिनके भले काँम-काज़ तिनकी ही गईलो असो।”
तिनू ऋषी की आत्त्मा जुराल़ी लेरो मारियों बुल्दी लागी, “हे बड़े प्रभू! सच्चाई गाशी चाल्णों वाल़े, पबित्र! प्रभू तुँऐं कोबे तोड़ी अमाँरा नियाँव ने कर्दे? अरह् ईयों संईसारी धर्ती दे रंहणों वाल़े, लोगो कैई शा अमाँरे लह्ऊँ का बद्ल़ा कबे लोंदे?”