हाँव तुँओं खे बुलू, के ऐष्णों ही ऐक मंन बद्ल़णों वाल़े पापी के बारे दे स्वर्गो दे भे खुशी मंनाऐ ज़ाली, किन्दें खे के तिनू निनाँणूऐ झ़ुणें जुण्जे आपु खे धर्मी जाँणों, तिनके मंन दा ऐजा ख्याल हों, के आँमों खे मंनबद्ल़णों के जरूरत ने आथी।
तू अज्ञाँ तअ जाँणे ऐ: के ‘चुरी-जारी ने करे, हंत्त्या ने करे, अरह् चोरी ने करे, झूट्ठी गुवाऐ-शाज़्त्त ने दिऐ, अरह् आप्णें माँ-बाबा की आदर-ईज्जत्त करे।’”