ढोंढ फीरो, पाँणी लागो, अरह् बाढ़ आऐयों कटाव लागा, बागूर फीरी, अरह् जेई तेसी घरोह् शी टकराई, तेई सेजो घर खरकियों हुटो, अरह् तिन्दें का ऐजा पता ही ने लागी के सेजो घर केथै थियों।”
अरह् कुँण्जा सेजा राजा हला, जुण्जा ओकी राजे खे जुह्जदा ज़ाला, अरह् आगे बऐठियों ऐजा बिचार ने करह्, के जुण्जा राजा बीष हजार सपाई की फ़ऊँजी आरी मुँखे जुह्जदा आँदा; कियों हाँव दष हजार फ़ऊँजियों लई, तैस्का मुँकाब्ला करी पाँदा?