चींत्तें थुंऐ, के मुँऐ तुँओं खे का बुली थो: के दास सेंवक आप्णें माँलिक शा बड़ा ने हंदी, किन्देंखे के जबे तिन्ऐं मुँह सताँऐ थुवा; तअ से तुओं भे जरूर सताँदे ऐ; जे से मेरे बचन का पाल़्ण कर्दे, तअ से तुवाँरे बचन का भे पाल़्ण कर्दे थिऐ।
हाँव जाँणू ऐ, के मेरे ज़ाँणो पाछ़ी; खूँखार-खाऊँरे ऐजे भेंड़िऐ, तुओं लोगों के भीच दे घूस्रियों आले; अरह् तुवाँरे ऐसी झुँण्ड गाशी किऐ भे ऐ दया-रंऐम ने कर्दे;
तेने दमिश्क के चौत्रें के नाँव दे पत्र माँगे, जिन्दा तेस्खे ऐजा हंक-अधिकार दिया गुवा थिया; के जे कोसी भे बिश्वाषी यरूशलेम दे बाँनियों आँणों, से तिरंई, हों भाँव मंरोद् हों।