किन्देंखे के तुँओं खे गुलामी की आत्त्मा ने भेंटी रंंई, के हजो भे डरियों रंह्, परह् आँमों खे गोद् लुऐं गुऐ बैटे की आत्त्मा भेटी रंऐ, जिन्दे के सहाँरे आँमें हे अब्बा, हे बाबा, बुलियों पुकारो।
तअ तबे मसीया को लह्ऊँ जिन्ऐं आपु आप्खे सदा अमर रंहणों वाल़ी आत्त्मा के कारण पंण्मिश्वर के सहाँम्णें नीर-दोष बंल़ीदाँण के रूप दा भेंट कंरियों चड़ाया; तअ तबे तुवाँरी अंन्त्तर आत्त्मा के मँरे अंदे कामों शे से कैई ने शुद्ध कर्दी? जू तुऐं जीऊँदें पंण्मिश्वर के सेंवा करी सको।