जबे सेजा मंद्त्तगार, मतल्व सच्चाई की आत्त्माँ आली; तअ से पुरी सच्चाई दी, तुओं खे बाट लाँह्दी; से आप्णीं तरफ़ शो किऐ ने बुल्दी, परह् से सेजो ही बुल्दी; जुण्जो से शुँण्ली, से तुवाँरी ताँईऐ आँणों वाल़ी घट्णाँ पर्गट कंरियों तुवाँरे संहाँम्णें आँण्लीं।
किन्देंखे के तुँओं खे गुलामी की आत्त्मा ने भेंटी रंंई, के हजो भे डरियों रंह्, परह् आँमों खे गोद् लुऐं गुऐ बैटे की आत्त्मा भेटी रंऐ, जिन्दे के सहाँरे आँमें हे अब्बा, हे बाबा, बुलियों पुकारो।
किन्देंखे के जे कोसी दास-बैटू की दषा दा प्रभू ऐ बय्दी थुवा, तअ से प्रभू का अजाद करा अंदा असो। अरह् जेसी अजादी की दषा दा बऐदी थुवा, से मसीया का दास असो।
हे भाऐ बंईणों, तुँओं अजाद हणों खे बय्दी थुऐ, परह् कद्दी ऐशो ने हईयों के ऐजी अजादी तुँऐं देह्-शरीर के बुरी हिछा कर्णो का साधन ने बाँणें; परह् पियार शे ओका ओकी का सेवा दा मदत्तगार बंणों।