49 तुवाँरें नाँना-बाबा ऐ शुन-शाँन जागा दा मन्ना खाया, तबे भे से मंरी गुऐ।
49 तोंवारै पुराणियाए शुनशान जौगैह दो स्वर्ग शै देएयौंदौ मन्ना नांव कौ खाणौ खोऊं; पौरौ मौरे गौवै।
अमाँरे नाँना-बाबा ऐं शुंन-शाँन जाँगल़ो दा मन्ना खाया थिया; जेष्णों के पबित्र-ग्रन्थों दो लिखी थो: के ‘तिन्ऐं खाणों खे तिनखे स्वर्गो शी रोटी दिती’।”
ऐजी सेजी रोटी असो, जुण्जी स्वर्गो शी ऊँदी ऊत्री रंई; ऐ तेष्णी रोटी ने आथी, जुण्जी तुवाँरे पुराँणिऐं ऐं खाई थी, तबे भे से मंरी गुऐ; परह् जुण्जा कुँऐं ऐजी रोटी खाँव, से कंद्दी भे मंरी ने सक्दा; किन्देंखे के से संदा जीऊँदीं रंह्दा।”
तुँऐं ऐजी सच्चाऐ आगे ही जाँणों, तबे भे मेरा मतल्व तुँओं कैई शो चींत्ते कराँणों असो, के प्रभू ऐ आप्णी परजा मिस्र देश शी बंचाऐ छुड़ाऐयों, तिन्ही लोगो का नाँष करी दिता, जुण्जे बिश्वाष शे दुर्के हऐ गुवे थिऐ।
जिनके काँन हों, से शुँणी पाँव, के पबित्र-आत्त्मा कलीसियाओं खे का बुलो। के जू जींत्ती ज़ाँव, तिन्खे हाँव चुप्पी के मंन्ना मुँझ्शो देऊँबा, अरह् तैस्खे ऐक चीटा पात्त्थर भे देऊँबा; अरह् तेसी पात्त्थर गाशी ऐक नुंवों नाँव लिखो अंदो हलो, तेसी पात्त्थर भेंट्णों वाल़े के सुवाऐ ओका कुँऐं ने जाँण्ला।