28 तिनू लोगे ऐ प्रभू यीशू शो पुछ़ो, के “पंण्मिश्वर के काँम-काज़ कर्णो खे आँमें का करह्?”
28 तिनुऐ तैसीखै बौल़ौ, “पौरमेशवर कै काम कौरणौ कारिए आमै का कौरु।”
ऐक आदमी प्रभू यीशू कैई आया, अरह् तेने तिनखे बुलो, “हे गुरू जी! हाँव जीवन दा ऐशा कुँण्जा भला-आछ़ा काँम-काज़ करू, के अमर-जीवन पाऐ सकूँ?”
अरह् दे:खो, के ऐक यहूदी-निय्म का शिखाँणों वाल़ा बीऊँजा, अरह् प्रभू यीशू के परख-अजमाँऐष कर्णों खे तिन शो पुछ़ो, “हे गुरू जी, हमेशा का जीवन दा वारिस हणों खे मुँह का कर्णों पड़लो?”
नाँष बाँन भोजन खे ने, परह् तेसी भोजन खे मेंह्नत्त करह्, जुण्जा सदा खे अमर-जीवन तोड़ी रंह्; जुण्जा जीवन आदमी का बैटा तुओं खे देला, किन्देंखे के बाबा, मतल्व परंम-पिता पंण्मिश्वर ऐं आप्णी ही हिछ़या आरी, सिर्फ तेस्खे ही सेजा हंक-अधिकार देऐ थुवा।”
प्रभू यीशू ऐ जबाब दिता, “पंण्मिश्वर के काँम-काज़ ऐजे असो; के जेसी तिन्ऐं डेयाल़ी थुवा, तेस्दा ही बिश्वाष करह्।”
अरह् तिनू बाईडे आँणियों बुलो, “हे बड़े सजंन लोगो मुँक्त्ति पाँणों खे हाँव का करू?”
ऐजी बात शुँणिंयों तिन के ईथै-मंन दी लागी; तबे तिन्ऐं संत्त-पतरस अरह् ओकी खास-चैले खे बुलो; “हे भाईयों! ऐबे आँमों खे का कर्णो ठीक असो?”
ऊँबा बींऊँजियों नंगर दा ज़ा, अरह् ताँव जुण्जो कर्णो पड़लो, सेजो ताँव कैई तेथी ही बुलो ज़ालो।”