तेसी बख्ते नाँव झील के बिचो, दी थी, अरह् ओकी दिषाँ की ढबे शी बैजाऐ बागूर फिरी रंऐ थी, जिन्दें के झ़ूलै-थपेड़े लई नाँव फालो आरी तेसी ईलाके की टिराँव्टी शी झीक्दे-पीघ्दे बैजाऐ दुर्की हुटी गऐ थी।
पाँच छ़: किलो मीटर तोड़ी नाव झील के पाँणी गाशी फ़ाऊँडी लई काट्दे-काट्दे चैले दुर्के पंह्ऊँचीं गुऐ थिऐ, तबे तिन्ऐं देखो, के कुँऐ झीलो की पाँणी गाशी हाँडियों अरह् नाव के नंजीक आँदा लागा; तबे सेजै चैले डरी गुऐ।