41 हाँव आदमी कैई शी आप्णी आदर-ईज्जत्त ने चहाँदा।
41 हांव आदमी कै तारीफ कै आश ना राखु।
किन्देंखे के तिनके पंण्मिश्वर की आदर-ईज्त्त शी जादा, आदमी के आदर-ईज्त्त प्यारी लागो थी।
ऐशो ने आथी, के मुँह आप्णे बारे दी कोसी आदमी की गुवाई-शाज़्त की जरूरत असो; परह् हाँव ऐजो ईन्देंखे बुलू, के तुओं लोगो छुट्कारा भेटो।
तबे भे तुँऐं लोग अमर-जीवन पाँणों खे मुँह कैई ने आँणों चहाँदे।
परह् हाँव तुँओं जाँणू ऐ, के तुँओं दा पंण्मिश्वर का प्यार ने आथी।
तुँऐं मुँदा बिश्वाष किया-किया करी सको, जबे के तुँऐं लोग ओका-ओकी कैई शी आप्णी तारिफ़-बड़ियाऐ शुँण्णों की ताक खोज दे रंह्; परह् तियों तारिफ़ शुँण्णों के कोशिष ने कर्दे जुण्जी सिर्फ पंण्मिश्वर कैई शी ही भेंटी सको।
जबे प्रभू यीशू ऐ ऐजो जाँणी पाव, के लोग तिनू राजा बाँण्णों खे ऊडा थाँहम्बड़णाँ चहाँव, तअ से ऐक्ली ही हजो धारोह् गाशी हुटे।
किन्देंखे के जुण्जा कुँऐं आप्णें बिचार शुँणाँव, से आप्खे ही आदर-ईज्ज्त्त चहाँव; परह् जुण्जा आप्णें डेयाल़्णों वाल़े खे आदर-ईज्जत्त चहाँव, से बुलकुल साच्चा असो; अरह् तेस्दा किऐ भे छ़ल़-कपट ने आथी।
हाँव आप्णी बड़ियाई की ताँईऐ, ऐत्री मेंह्नत्त-कोशिष ने करदा, होर, ऐक ऐष्णा असो, जुण्जा ऐष्णों चहाँव ऐ; अरह् ईन्देंखे कोशिष करह्; अरह् फ़ंऐस्ला भे से ही करह्।
प्रभू यीशू ऐ तिनखे जबाब दिता, के “जे हाँव आप्णी बड़ियाऐं आपु करू; तअ मेरी बड़ियाऐ बै-कार असो, जिन्ऐं मुँखे बड़ियाऐ देऐ थंऐ; से मेरा बाबा असो, जिनखे तुँऐं भे आप्णाँ पंण्मिश्वर माँनों।
आँमें लोगो कैई शा किऐ माँन-समाँन ने चहाँदे, ना तुँओं कैई शा, ना कोसी ओकी कैई शा, आँमें मसीया के खास-चैले के रूप दा आप्णा हंक-अधिकार चलाऐ सको थिऐ;
अरह् तुँओं ईन्देखे बय्दी थुऐं, किन्देंखे के मसीया भे तुँवारी ताँईऐं दु:ख भूगियों तुँओं खेे ऐक शीख देऐ थऐ, के तुँऐ भे तिनके नंक्क्षे-कदम गाशी चालो।
किन्देंखे के जबे तिनू परमं-पिता पंण्मिश्वर कैई शी आदर-ईज्जत अरह् बड़ियाऐ भेटी, अरह् तियों शक्त्तिशाली बड़ियाऐ मुँझ्शी ऐजी धाव शुणाँई पड़ी, के “ऐजा मेरा पियारा बैटा असो, जैच्छ़ा हाँव बैजाऐ खूशी असो।”