“जुण्जा स्वर्गो शा आँव, से सोभी शा बड़ा असो; अरह् जुण्जा धर्त्ती शा आँव, से धर्त्ती का असो; अरह् से धर्त्ती गाशली ही बातो बुलो; परह् जुण्जा स्वर्गो शा आँव, से सोभी शा बड़ा असो।
से ही देह्-शरीर मतल्व कलीसिया को मुँड असो, से ही आदी असो, अरह् मँरे अँदे मुझ्शे आगले ऊँबे जीऊँणों वाल़े भे असो; ईन्देंखे से बादी बातो दे सोभी शे आगले असो।
जबे सात्ते स्वर्गदूत्त ऐ रंणशिंगें-कनाँल़ी फूकरी, तबे स्वर्गो दी साँत्त-भाँत्ती गुड़ाको की गूँह्ज शुँणाँई पड़ी: “संईसारी को राज ऐबे अमाँरें प्रभू का अरह् तिनके मसीया को राज हऐ गुओ; से ही ऐबे ज़ूगौ-ज़ूगौ राज कर्ले।”