“ईन्देंखे जबे तुँऐं दाँण दियों, तअ ढीको ने शुणाँऐं, जेष्णों के पाखंडी लोग खुम्ल़ी अरह् गाँव-गल़ी दो करह्, जू लोग तिनकी बड़ियाऐ करह्। हाँव तुँओं खे खास बात बुलू, के तिनू आप्णा प्रतिफल़ भेटी गुवा।
ईन्दे गाशी प्रभू यीशू ऐ तिन खे बुलो, “तुँऐं लोग आदमी के साँम्णिऐ तअ आपु खे धर्मात्त्माँ बंणों; परह् पंण्मिश्वर तुवाँरें मंन-सासो के बात ज़ाणो ऐ; किन्देंखे के जुण्जी बात आदमी के नंजरी दे आच़्छ़ी असो, सेजी ही बात पंण्मिश्वर की नंजरी दी शंगाँव्णी असो।
तुँऐं मुँदा बिश्वाष किया-किया करी सको, जबे के तुँऐं लोग ओका-ओकी कैई शी आप्णी तारिफ़-बड़ियाऐ शुँण्णों की ताक खोज दे रंह्; परह् तियों तारिफ़ शुँण्णों के कोशिष ने कर्दे जुण्जी सिर्फ पंण्मिश्वर कैई शी ही भेंटी सको।
ईन्देंखे जाँव तोड़ी प्रभू ने आँव, तेसी बख्तो शा आगे कोसी भी बातो का नियाँव ने करे: किन्देंखे के से ईनाँरे दी दब्बी अंदी बातो आपु पियाशै दी दे:खाले, अरह् आदमी के मंन के बिचार भे आपु पर्गट कर्लें, तबे पंणमिश्वर की ढबे शी ऐकी नाँमों के बड़ियाऐ हली।
परह् तुँवारी चुप्पी बिना दे:खी इंनसाँनिय्त, अरह् नरमाँऐं वाल़ा मंन की गरबाई जिन्दे के सजावट कोद्दी ने मिट्दी से संज्जी अंदी रंह्, किन्देंखे के पंणमिश्वर की नंजरी दा ईन्दें का मोल बैजाऐ बड़ा असो।