5 ज्योंत्ति ईनाँरे दी चंम्मक्दी रंऐ; परह् सेजो ईनाँरो तियों ज्योत्ति-प्रकाष हिशाल़ी ने संकी।
5 औरौ पेयाशो इनारै दो चमको, औरौ इनारौ तिथु हिशोए ना सौकौ।
अरह् लोग दिवा बाल़ियों दिय्ट थाई ने थंह्दे, परह् दिय्ट गाशी लाँव, तबे ही घर के बादे लोगो खे पीयाषो लागो।
बचन आगे ही संईसारी दा थिया, अरह् संईसारी तेसी ही बचन के जाँणें पंय्दा हऐ; तबे भे ईऐं संईसारी ऐ तेसी बचन पंह्छ़्याँणीं ने।
हाँव तिनकी आखी खोल्णों खे, तिनू ईनाँरे शे ज्योत्ति की ढंबै फ़ेर्णो खे; मतल्व शैतान की शक्त्ति शे दुर्के करियों; पंण्मिश्वर की ढबै कर्णो खे, ताँव तिन कैई डेयाल़ूबा; जिन्दें लंई से मुँदा बिश्वाष कर्णो के कारण आप्णें पापों की माफी पाँव, अरह् पबित्र करे अंदे भगत्तों आरी से भे मीरास पाँव।’
जबे तिन्ऐ पंणमिश्वर पछयाँण्णा ने चहाँई, तअ पंणमिश्वर भे तिनू तिन्के निंकाँमें-बुरे मंन गाशी छुड़ी दिते, के से सेजे काँम-काज़ करह्, जुण्जी कर्णी ने पड़ो थी।
परह् बै-बिश्वाषी लोग पंणमिश्वर की आत्त्मा की बातो माँन्दें ने; किन्देंखे के सेजी बातो तिन के नंजरी दी बै-कार असो, अरह् ना तिनके सेजी बातो संम्झ आँदी किन्देंखे के सेजी बातो पबित्र-आत्त्मा की शक्त्ति शी ही सम्झ दी आँव।